जीवन में अनुशासन का महत्व निबंध

         जीवन में अनुशासन का महत्व 

                           

   रूपरेखा

  1.   प्रस्तावना
  2.   अनुशासन का महत्व
  3.   विद्यार्थी और अनुशासन
  4.   अनुशासनहीनता से हानियाँ
  5.   अनुशासन विकास का आधार
  6.   उपसंहार


प्रस्तावना --सूर्य , चन्द्रमा, तारे, ऋतु, प्रातः, संध्या आदि को नियमित रूप से आते-जाते देखकर स्पष्ट हो जाता है कि सृष्टि के मूल में एक व्यवस्था कार्य कर रही है। ये सभी तत्व अनुशासन में बैँधकर चलते हैं। यही कारण है कि उनके कार्य-कलापों में कोई अन्तर नहीं हो पाता है। यह प्रकृति ही हमें अनुशासन में रहने की प्रेरणा देती है। ' अनुशासन' शब्द का अर्थ है-नियम के पीछे चलना। समय, स्थान तथा परिस्थितियों के अनुरूप सामान्य नियमों का पालन करना ही अनुशासन कहलाता है। 


अनुशासन का महत्व --अनुशासन का जीवन में विशेष महत्व है। समस्त प्रकृति एक अनुशासन में बँधकर चलती है, इसलिए उसके किसी भी क्रियाकलाप में बाधा नहीं आती है। दिन-रात नियमित रूप से आते रहते हैं। इससे स्पष्ट है कि अनुशासन के द्वारा ही जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है। अनुशासन के मार्ग से भटक जाने पर व्यक्ति चरित्रहीन, दुराचारी, पतित तथा निन्दनीय हो जाता है। समाज में उसका कोई सम्मान नहीं रहता है। अनुशासन के अभाव में उसका तन तथा मन दोनों दूषित हो जाते हैं। 


विद्यार्थी और अनुशासन -विद्यार्थी-जीवन मनुष्य के भावी जीवन की नींव है। शिक्षा काल में निर्मित विद्यार्थी ही भावी नागरिक बनेगा। विद्यार्थी अनुशासन में रहकर ही स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यवहार तथा आचार प्राप्त कर सकता है। नियमित रूप से अध्ययन करना, विद्यालय जाना, व्यायाम करना, गुरुजनों से सद्व्यवहार करना ही विद्यार्थी जीवन का अनुशासन है। इसके बिना विद्यार्थी का निर्माण नहीं हो सकता है। 


अनुशासनहीनता से हानियाँ --अनुशासनहीनता एक कोढ़ है। यह समाज को नष्ट कर देता है। दुर्भाग्यवश आज अनुशासनहीनता बढ़ रही है। विद्यालय, छात्रावास, बाजार, घर, समाज आदि सभी में अनुशासन का अभाव दिखायी पड़ता है। धर्म तथा समाज के नियन्त्रण समाप्त हो रहे हैं। प्रशासन में अधिकारी, कर्मचारी आदि स्वयं अनुशासनहीन हो गये हैं। समय तथा आवश्यकता के अनुरूप उत्तरदायित्व की भावना नहीं रह गयी है। फलस्वरूप अपराध, अन्याय, लड़ाई-झगड़े तथा शत्रुता के कारण बिखराब आ रहा है। 


अनुशासन विकास का आधार --अनुशासन में रहकर ही शक्ति का संचार होता हैं। जो राष्ट्र जितना अधिक अनुशासित होता है, वह उतना ही अधिक विकास कर जाता है। अनुशासित कल-कारखाने, विद्यालय, कृषि, मजदूरों, नौकरी आदि सभी के द्वारा ही देश तथा समाज को सुखी एवं सम्पन्न बनाया जा सकता है। दूसरे राष्ट्रों से सुरक्षित रहने के लिए भी अनुशासन आवश्यक है। सेना अनुशासन में रहकर ही युद्ध कर पाती है, विद्यार्थी अनुशासन में रहकर ही ज्ञान प्राप्त कर पाता है तथा व्यापारी एवं उद्योगपति भी अनुशासन का पालन करके ही अपना उत्तरदायित्व निभा पाते हैं। 


उपसंहार --बिना अनुशासन के मानव-जीवन का कोई भी क्रिया-कलाप नहीं चल सकता है। विद्यार्थी जीवन ही तो इसकी धुरी है। इसलिए जीवन में अनुशासन का विशेष महत्व स्वीकार किया गया है।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.