व्यायाम के महत्व पर 250 से 300 शब्दों में निबंध-व्यायाम के लाभ पर निबंध लिखिए।
व्यायाम के लाभ
निबंध-संकेत (रूपरेखा)- प्रस्तावना, व्यायाम के प्रकार, व्यायाम के लाभ, स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें, व्यायाम के अभाव में रुग्णता, उपसंहार।
प्रस्तावना :
विभिन्न विद्वानों की सामूहिक सीख इस बात की ओर इशारा करती हैं कि सर्वप्रथम शरीर की सुरक्षा ही करनी चाहिए। यदि शरीर स्वस्थ नहीं होगा तो मनुष्य कोई भी शारीरिक या मानसिक कार्य नहीं कर सकता क्योंकि नियमानुसार स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। यदि शरीर अस्वस्थ हो तो मन भी अस्वस्थ ही होगा तथा अस्वस्थ मन से किया गया कोई भी कार्य सफल नहीं हो सकता।
व्यायाम के प्रकार :
व्यायाम अनेक प्रकार के होते हैं। सबसे प्रमुख कार्य है प्रात:काल जल्दी उठकर घूमने जाना। प्रात:काल घूमने से एक ओर तो हमारे प्राणों में स्वच्छ वायु का संचार होता है दूसरी ओर शरीर की सभी नाड़ियों में नए रक्त का संचार हो जाता है। इसके अलावा लोग तरह-तरह की कसरतें भी कर सकते हैं। जो लोग किन्हीं कारणों से प्रातः घूमने नहीं जा सकते, वे अपने घर पर ही कसरत कर सकते हैं। आजकल तो दूरदर्शन पर भी तरह-तरह की कसरतों की तथा योग से संबंधित आसनों की शिक्षा दी जाती है। लोग इनको देखकर भी थोड़ा-बहुत अभ्यास तो कर ही सकते हैं।
तरह-तरह के खेल भी व्यायाम के ही अंतर्गत आ जाते हैं। छात्र-छात्राएँ हॉकी, फुटबॉल, क्रिकेट,बास्केट-बॉल, टेनिस आदि सभी खेलों में सक्रिय रूप से भाग लेकर अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सकते हैं। खेलों से न केवल व्यायाम ही होता है, ये मनोरंजन के भी सशक्त साधन हैं। कसरत, आसन या किसी प्रकार के व्यायाम के बाद शरीर पर तेल मालिश भी अच्छे स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है। तेल मालिश से एक ओर हमारे स्नायु-तंत्र में खिंचाव पैदा होता है तो त्वचा में भी चमक आ जाती है। इससे रक्त प्रवाह ठीक रहता है। व्यायाम के बाद शरीर को ठंडा करने के लिए थोड़ा विश्राम अवश्य करना चाहिए। इसके बाद स्नान करना अति आवश्यक है। स्वच्छ ठंडे पानी से रगड़कर शरीर को साफ़ करने से शरीर की त्वचा के सभी छिद्र खुल जाते हैं।
व्यायाम के लाभ :
वैसे तो अच्छे स्वास्थ्य के लिए संतुलित भोजन, स्वच्छ जल, वायु, संयम तथा नियमित जीवन सभी ज़रूरी हैं किंतु इन सब में 'व्यायाम' का अपना विशेष महत्व है। नियमित व्यायाम करने वाले व्यक्ति में एक ऐसी अद्भुत शक्ति आ जाती है कि सारे शरीर पर उसका अधिकार हो जाता है। इसी के फलस्वरूप वह व्यक्ति अपने मन की भावनाओं पर भी नियंत्रण रख सकता है। जिस प्रकार जीवन के लिए वायु, जल और अन्न परमावश्यक हैं उसी प्रकार घ्यायाम भी बहुत ज़रूरी है।
स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें :
'व्यायाम शब्द का अर्थ है-कसरत। आज के युग में मनुष्य ने अपनी जरूरतों को इतना बढ़ा लिया है कि उनको पूरा करते-करते उसे सुबह से शाम और शाम से सुबह कब होती है यह पता ही नहीं चलता। फिर शरीर कैसे स्वस्थ रह सकता है? मनुष्य को भलीभाँति यह समझ लेना चाहिए कि यदि उसका शरीर स्वस्थ नहीं होगा तो वह कार्यरत कैसे रहेगा। जो व्यक्ति अपने शरीर की उपेक्षा करता है, तो समझ लीजिए वह अपने लिए रोग,बुढ़ापा और मृत्यु के दरवाज़े खोलता है। आज के समाज में जो भयानक रोग तथा महामारियाँ दिखाई देती हैं उनका एक प्रमुख कारण व्यक्ति का अपने स्वास्थ्य के प्रति ध्यान न देना भी है।
व्यायाम के अभाव में रुग्णता :
स्वस्थ मनुष्य ही शारीरिक और मानसिक सभी कार्य सुगमता से कर सकता है। जो बीमार रहता है वह न तो कोई शारीरिक श्रम का कार्य कर सकता है और न ही बौद्धिक कार्य। इसके लिए आवश्यक है कि सभी को व्यायाम के लिए थोड़ा-सा समय अवश्य निकालना चाहिए। यदि शरीर स्वस्थ रहेगा तो मन भी प्रसन्न रहेगा और हम हर काम आनंद और स्फूर्ति से कर सकेंगे।
निष्कर्ष :
आजकल बड़े-बड़े नगरों, महानगरों में जगह-जगह सरकारी तथा व्यक्तिगत 'जिम' खुल गए हैं। यहाँ विभिन्न प्रकार के उपकरणों तथा यंत्रों की मदद से व्यायाम करवाया जाता है। जो लोग किसी कारण से स्वयं व्यायाम का समय नहीं निकाल पाते उनके लिए ये स्थान भी बड़े उपयोगी हैं। कहने का तात्पर्य इतना ही है कि नियमित व्यायाम अच्छे स्वास्थ्य के लिए रामबाण औषधि है। व्यायाम के अभाव में मनुष्य का जीवन निरर्थक है। व्यायाम स्वस्थ जीवन का सार है। अतः हमें आलस को त्यागकर प्रतिदिन व्यायाम के लिए कुछ समय अवश्य निकालना चाहिए।
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