दहेज की कुप्रथा के बारे में अपने मित्र को एक पत्र लिखिए।
पता____
दिनांक_____
प्रिय_____
सप्रेम नमस्ते।
कल ही आपका पत्र प्राप्त हुआ। उसमें आपने बहन..[बहन.का.नाम]...की मंगनी के विषय में मुझसे परामर्श माँगा है तथा दहेज के संबंध में भी मेरी राय मांगी है। मैं तो यही कहूँगा कि यदि हम ठंडे मन से इस समस्या पर विचार करें तो आज दहेज की कोई आवश्यकता नहीं। आज कानून द्वारा पुत्री को पिता की संपत्ति में अधिकार प्राप्त है।कन्याएँ लड़कों से भी अधिक पढ़-लिख गई हैं। हमारी बहन क्या पढ़ाई में किसी से कम है। वह स्वयं पर आश्रित है। उसका जीवन किसी पर भार नहीं है। हमें तो स्वयं आगे आकर इस कुप्रथा से छुटकारा प्राप्त करना चाहिए। साथ ही समाज को भी प्रचार द्वारा अपनी मान्यताएँ बदलकर दहेज के लोभियों को अपमानित करना चाहिए। मेरी तो यही मान्यता है कि कन्यादान ही महादान है। जिस व्यक्ति ने अपने कलेजे का टुकड़ा ही दे दिया, उसके पास देने को और शेष क्या रह जाता है? हमें ऐसा वर ढूँढ़ना चाहिए जो योग्य, सुशिक्षित तथा रोज़गार वाला हो। यदि हम सब मिलकर इस कुप्रथा के अंत का बीड़ा उठाएँ तो अवश्य ही सफल होंगे। घबराने की कोई आवश्यकता नहीं।
आपका अभिन्न हृदय.....[मित्र..का नाम].......
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