शिक्षा में खेलों का महत्व पर निबंध

 शिक्षा में खेलों का महत्व 


न निबंध-संकेत (रूपरेखा)

प्रस्तावना एक प्रसिद्ध कहावत है कि 'स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है।' शिक्षा, ज्ञान, विद्वता सब स्वास्थ्य पर निर्भर है। जीवन में शिक्षा के साथ शरीर को पुष्ट रखने के लिए खेलकूद, व्यायाम आदि सहायक बनते हैं।

विभिन्न प्रकार के खेल ~ खेल केवल वे नहीं होते, जो खेल के मैदान में खेले जाते हैं। प्रत्येक खेल जिसमें स्वस्थ प्रतियोगिता हो, स्पद्धा हो, खेल होता है। चाहे वह घर पर ही क्यों न खेला जाए? खेल प्राय: दो प्रकार के होते हैं-एक वे जिनके खेलने से व्यायाम कम किंतु मनोरंजन अधिक होता है। जैसे-शतरंज, कैरम बोर्ड, ताश, साँप-सीढ़ी, व्यापार शरीर का खेल आदि इस प्रकार के खेल हैं। इन से मानसिक थकावट दूर हो जाती है तथा कमज़ोर व्यक्ति भी उसका आनंद ले सकता है। दूसरी प्रकार के खेलों से व्यायाम व मनोरंजन दोनों होते हैं। जैसे- हॉकी, क्रिकेट आदि।

शिक्षा और खेल का समन्वय ~ आजकल प्राय: शिक्षा का संबंध केवल स्कूल में होने वाली पढ़ाई से माना जाता है। रगड़कर खेल तो मनोरंजन मात्र माना जाता है, परंतु गहराई से देखा जाए तो शिक्षा और खेल एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। खेल-शिक्षा का अभिन्न अंग है। खेल के बिना शिक्षा नीरस है। अत: इनके समन्वय से ही बालक का पूर्ण विकासजीवन संभव है।

स्वास्थ्यवर्धक खेल ~ खेलकूद स्वास्थ्यवद्धक होते हैं। खेलकूद से पसीना आता है। रक्तसंचार ठीक होता है। गैस जैसी बीमारियों का नाम नहीं होता, पाचन शक्ति बढ़ती है तथा शरीर बलवान, फुर्तीला और सुंदर बनता है। अंग सुडौल और हस्ट-पुष्ट बन जाते हैं।

खेल आपसी सदभावना का प्रसार करते हैं ~ खेल आज आपसी मतभेद समाप्त करने में सहायक सिद्ध हो रहा है। विभिन्न जाति, धर्म, संप्रदाय और धर्म के लोग मिलकर एक उद्देश्य को लेकर खेलते हैं। इस तरह आपसी तनाव समाप्त होता जा रहा है। लोग एक-दूसरे के समीप आते जा रहे हैं। अत: खेल एकता और प्रेम-भावना का प्रसार कर रहे है।

संघर्ष की प्रेरणा ~खेल मनुष्य को संघर्ष की प्रेरणा प्रदान करता है। खेल में जीतने की भावना संघर्ष की ओर प्रेरित करती है। सफलता के लिए दोनों दल जी-जान की बाजी लगाते हैं। दिनभर का थका-हारा मनुष्य कुछ क्षण के लिए संसार भर की चिंताएँ भूल, कर खेल में मग्न हो जाए तो उसमें वहीं स्फूर्ति ताज़गी आ जाएगी तथा वह पहले की अपेक्षा अधिक काम करने में सक्षम होगा। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। मनुष्य समाज से अलग नहीं रह सकता। खेल मनुष्य को समाज में रहना सिखाता है। परस्पर सहयोग, सहनशीलता, अनुशासन वह खेलों से ही सीखता है।

उपसंहार ~खेलों से बच्चों में स्पा के द्वारा उन्नति की भावना जागृत होती है। अनुशासन, स्वास्थ्य और मनोरंजन का अच्छा साधन होने के कारण आज खेलों को भी शिक्षा में महत्वपूर्ण स्थान दिया जा रहा है। अच्छी भावना से देश में नई चेतना जागृत करेंगे, तो देश निश्चित ही उन्नत होगा। खेलों से बच्चों के स्वस्थ भविष्य का निर्माण होगा। 


                      'स्वस्थनागरिक स्वस्थ राष्ट्र'।



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